जन-जन की जिम्मेदारी से
अब ना बन्दुक-कटारी से
विजय श्री का
वरण करेंगे
हम सुझबुझ, होशियारी से
जन-जन की जिम्मेदारी से
कहो, राष्ट्र क्या आज मात्र
सेना की जिम्मेदारी
है ?
या, हम सब हैं राष्ट्र सेवक
जन-जन की भागेदारी है।
हम सब पर माँ
माटी ने,
एक सा प्यार लुटाया
है।
अब मां माटी है
संकट में,
रण का संदेशा
आया है।
रण होगा तो, हो
जानेदो
अपनी भी अब तैयारी है।
रणचंडी व महाकाल को,
हमने भी लहू चढ़ा ली है।
बहकावे में आकाओं
का,
कोई कैसे, आ जाता
है ?
कुछ रुपयों के
लालच में,
कोई राष्ट्रद्रोह कर जाता है!
जो बहकावे भी में आएगा,
वह भी ना बकसा जाएगा।
जो जैसा प्रश्न
उठाएगा,
वैसा हीं प्रतिउत्तर
पाएगा।
हम राष्ट्र हितैसी
बनें सभी,
न सुने बुजदिलों का कहना।
यह राष्ट्र है हम सबका यारों,
है हमसब को मिलकर रहना।
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© ज्योति पांडे, जमशेदपुर ( झारखंड )
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