।।कलमकार।।
जो फर्ज है वो अपना निभाते रहेंगे हम
कर्ज माटी का कलम से चुकाते रहेंगे हम
दहशत का आलम खत्म हो और खत्म हो नफरत
चमन मे अमन को गर्दन चढ़ाते रहेंगे हम
सियासत तख्तोताज से क्या हमको है मतलब
भुखे को रोटी प्यासे को पानी की है तलब
इतनी सी उम्मीद पर जो भी खरा मिले
उसकी दुआ और आरती गाते रहेंगे हम
हो तुमको मुबारक तुम्हें ऐ जश्न ए दहशतगर्दी
इंसानियत के संग न हो अब और बेदर्दी
तुम जश्न मनाओ पकड़ के नंगी खंजरें
महफिलें अमन चैन की सजाते रहेंगे हम
खौफ मे जी रहा है हर कौम का इंसान
हर तरफ बिक रहें हैं मौत बाँटने का सामान
यह चमन रहे महफूज ऐसा बागँवा मिले
उठाई थी हमने आवाज उठाते रहेंगे हम...
जो फर्ज है वो अपना निभाते रहेंगे हम
कर्ज माटी का कलम से चुकाते रहेंगे हम
दहशत का आलम खत्म हो और खत्म हो नफरत
चमन मे अमन को गर्दन चढ़ाते रहेंगे हम
सियासत तख्तोताज से क्या हमको है मतलब
भुखे को रोटी प्यासे को पानी की है तलब
इतनी सी उम्मीद पर जो भी खरा मिले
उसकी दुआ और आरती गाते रहेंगे हम
हो तुमको मुबारक तुम्हें ऐ जश्न ए दहशतगर्दी
इंसानियत के संग न हो अब और बेदर्दी
तुम जश्न मनाओ पकड़ के नंगी खंजरें
महफिलें अमन चैन की सजाते रहेंगे हम
खौफ मे जी रहा है हर कौम का इंसान
हर तरफ बिक रहें हैं मौत बाँटने का सामान
यह चमन रहे महफूज ऐसा बागँवा मिले
उठाई थी हमने आवाज उठाते रहेंगे हम...
No comments:
Post a Comment