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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Monday, June 17, 2019

मैं तुम्हारी हूँ अपना बना लो प्रभु - ( सोनी सुगन्धा )

मैं तुम्हारी हूँ अपना बना लो प्रभु
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 मैं तुम्हारी हूँ अपना बना लो प्रभु ।l
अपने चरणों से मुझको लगा लो प्रभुll

आँधियाँ स्वार्थ की हैं यहां चल रही
भावनाएँ बुरी सब में हैं पल रही
थक चुकी हूँ मुझे अब संभालो प्रभु l
अपने चरणों-----

किस समय मैंने तुमको पुकारा नहीं
तेरे बिन एक पल भी गुज़ारा नहीं
अब  भंवर में है नैय्या निकालो प्रभु ।
अपने चरणों------

कष्ट में रहके हरपल में बेचैन हूँ।
आग में जल रही मैं दिवा रैन हूँ
अपने चौखट की दासी बना लो प्रभु ।
अपने चरणों ------

मेरे कर्मों में कुछ पुण्य हैं पाप हैं
हर मरज़ की दवा प्रभु बस आप हैं
अपनी बिटिया को खुद ही संभालो प्रभु l
अपने चरणों ---

यदि न राहत जो तुमसे ये मन पायेगा
आप ही सोचिए ये कहाँ जाएगा
अपनी 'सोनी 'को अपना के पालो प्रभुl
अपने चरणों ---/

सोनी सुगन्धा

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