जिंदगी किंतु उनकी नहीं हो सकी l
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लोग मर -मर जिए जिंदगी के लिए,
जिंदगी किंतु उनकी नहीं हो सकी l
सांस चलती रही ज्योति जलती रही,
जान हिम्मत जरा भी नहीं खो सकी l
काम जितने किए सिर्फ उनके लिए,
बोझ एहसान का पर नहीं ढो सकी l
दर्द कितने सहे कोई कैसे कहे ,
स्नेह से जख्म उनके नहीं धो सकी l
गम का त्यौहार है जीत भी हार है ,
बनके हमदर्द जालिम नहीं रो सकी l
प्राण देते रहे मान देते रहे ,
प्यार का बीज फिर भी नहीं बो सकी l
जग के हित में जिए जन के आँसू पिये ,
पुण्य की साधना क्या कभी सो सकी l
सादर समर्पित
सोनी सुगंधा
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लोग मर -मर जिए जिंदगी के लिए,
जिंदगी किंतु उनकी नहीं हो सकी l
सांस चलती रही ज्योति जलती रही,
जान हिम्मत जरा भी नहीं खो सकी l
काम जितने किए सिर्फ उनके लिए,
बोझ एहसान का पर नहीं ढो सकी l
दर्द कितने सहे कोई कैसे कहे ,
स्नेह से जख्म उनके नहीं धो सकी l
गम का त्यौहार है जीत भी हार है ,
बनके हमदर्द जालिम नहीं रो सकी l
प्राण देते रहे मान देते रहे ,
प्यार का बीज फिर भी नहीं बो सकी l
जग के हित में जिए जन के आँसू पिये ,
पुण्य की साधना क्या कभी सो सकी l
सादर समर्पित
सोनी सुगंधा
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