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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Saturday, September 14, 2019

मैं हिंदी हूँ (डॉ मनीला कुमारी )


 मैं हिंदी हूँ


मैं हिंदी हूँ l
देश की बिंदी हूँ l
मेरा जन्म विरोधों में हुआ है l
जन्म से ही मारने का जतन हुआ है  l

मैं तुलसी की बिरवा की भाँति -
हर भारतीय के घर और जुबां पर बसती रही हूँ l
स्वर और व्यंजन मेरे दो संतान हैं,
जिनसे मेरी पहचान है l

निज घर परायेपन का दंश मिला है l
यूँ तो मैं राजभाषा हूँ
पर साथ सौतन अंग्रेजी खड़ी है l
आम की भाषा बन संपर्क भाषा बनी हूँ l

ख़ास की भाषा न होने का दंश
सदा भुगतना पड़ा है l
प्राचीन और नवीन भाषा की कड़ी हूँ l
वैज्ञानिक हूँ, तकनीक को अभिव्यक्त करती हूँ

काव्य और साहित्य की भाषा हूँ l
अलंकार, रस, छंद में बहती हूँ l
भाव और ध्वनियों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति हूँ l
देशी - विदेशी भाषाओं को समाहित किए हूँ l

अपनों की मानसिकता के कारण
अपने घर में अपमानित होती हूँ l
मेरे अपने मेरी सौतन का साथ देते हैं
और मुझको अपनाने से कतराते हैं l

मेरे अपनों के मन में भय है कि
कहीं मुझे अपनाने से उनका दबदबा न घट जाए l
मान और सम्मान में कमी न आ जाए l
इसलिए हिंदी माध्यम विद्यालय को
कभी उच्च दृष्टि से नहीं देखते हैं l

 © डॉ मनीला कुमारी

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