माँ भारती की पुकार
आज घड़ी विकट सी आई है
माँ भारती ने पुकार लगाई है
चलो साथी, करें तैयारी हम भी
अब तो शायद अपनी भी बारी है
आज घड़ी विकट सी आई है..
माँ भारती ने पुकार लगाई है...
सिंह सा दहाड़ हो
बुलंद हौसले से प्रहार हो
मन में शक्ति अपार हो
बढ़े कदम अब रुक ना पाये
रास्ते दुर्गम या खाई, पहाड़ हो
बस मज़िल पर नज़र रहे
सामने क्यूँ ना आतंकी का
कोई पनाहगार हो
अब अपने पराक्रम की बारी है
आज घड़ी विकट आई है
माँ भारती ने पुकार लगाई है….
उसने वही काटा जो बोया है
हमन मोहब्बत तो उसने
नफ़रत फैलाया है
हमने तो चोट किया है
सिर्फ आतंकी और आतंक पर
लेकिन उसकी ये बौखलाहट,
हमारी ख़ुशियों पे निशाना है
आतंकी को संरक्षण देने के लिए
युद्ध तो बस एक बहाना है
जवानों की शहादत हम कैसे भूलें
दिल में बहुत शोले,
इसे जा हम कहाँ फोड़ें
आज भारत और भारती,
दोनों की की लाचारी है
आज घड़ी विकट आई है
माँ भारती ने पुकार लगाई है….
ग़द्दार चक्रव्यूह में फँस चुका है
खुद ही सूली पे चढ़ चुका है
सर्द मौत के झोकें में
अपने आप तर हो जायेगा
सुर्ख़ उनके आँगन और
दर-ओ -दीवार हो जायेगा
हमारे शेर दिल जवान
फिर जीत कर आयेंगे
साथ ही उन साँपों को
राह ज़हनुम की दिखा जायेंगे
सवाल यह नहीं वह हारेगा,
हम फिर जीतेंगें,
बल्कि सवाल यह है कि
आतंक हारेगा, हम जीतेंगे
अभी धैर्य, समर्पण की
अपनी बारी है
आज घड़ी विकट आई है
माँ भारती ने पुकार लगाई है….
आरंभ अपना वो देख लिया,
अब प्रचंड वार की तैयारी है
धीरज धरो तनिक, अबकी
लाहौर, इस्लामाबाद की बारी है
पीठ पीछे वार किये तुने
घाटी लाल किये तुने
सच कहता हूँ, आने वाला
हर पल तुझ पर भारी है
यह सिर्फ आज की नहीं,
भविष्य की अपनी तयारी है
अब और न होगा क्षद्मयुद्ध,
पूर्ण संग्राम की तैयारी है,
झेलम, चिनाब, रावी और सतलज रंग देंगें
दुनिया के नक्शे से नाम तेरा साफ़ कर देंगें
डरते कहाँ हम गीदड़ भभकियों से,
बम और गोले से
समझते खूब इरादे तेरे ताशकंद, शिमला
जैसे समझौते से
अभी तो एक नहीं
सवा करोड़ की बारी है
कहे अजय अभी आरंभ देखा तुमने,
अब प्रचंड वार की बारी है
आज घड़ी विकट आई है
माँ भारती ने पुकार लगाई है….
माँ भारती ने पुकार लगाई है……
माँ भारती ने पुकार लगाई है……
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