*नमन अजय अमर वीर शहीदों को....*
रंग जाते हम भी
जो उस रंग में
रंग होता अपना
केसरिया ....
हाथ सभी के होता
तिरंगा......
सर पे
बलिदानियों सा सेहरा
निकलते झूम के
जब भी लगता इंकलाबी बोला
हम भी इतराते इठलाते
हँस - हँस के जान लुटाते
और पा जाते ..निज़ाद
इन....
मतलबी मज़हबी समाज से.......
मतलबी मज़हबी समाज से.......
रंग जाते हम भी
जो उस रंग में
रंग होता अपना
केसरिया ....
हाथ सभी के होता
तिरंगा......
सर पे
बलिदानियों सा सेहरा
निकलते झूम के
जब भी लगता इंकलाबी बोला
हम भी इतराते इठलाते
हँस - हँस के जान लुटाते
और पा जाते ..निज़ाद
इन....
मतलबी मज़हबी समाज से.......
मतलबी मज़हबी समाज से.......
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