बदली है नियति न बदला संसार है
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कैसी प्रकृति का उल्टा प्रहार है |
बदली है नियति न बदला संसार हैँ ||
हरियाली बदरंगी फीका बाधार है |
सावन का मौसम न आई बहार है ||
अपनों को अपनों से दूर यदि करदें तो |
लुट जाती खुशियां रह जाता गुबार है ||
रिश्ते न भूल जाना मुफ़लिसी के दौर मे |
पैसों का टिकता न हरदम खुमार है |l
एक जैसा इन्सा है अभिव्यक्ति भिन्न है |
एक जैसी नैया पर अलग पतवार है ||
नित झूठ बोलते हैं सत्य के पुजारी सब l
उनके कतार में ही भक्त बेशुमार है ll
कंगालों के घर में है धन बेईमानी वाला l
सोनी ईमानदार है तो खाली भण्डार है ll
सोनी सुगंधा
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कैसी प्रकृति का उल्टा प्रहार है |
बदली है नियति न बदला संसार हैँ ||
हरियाली बदरंगी फीका बाधार है |
सावन का मौसम न आई बहार है ||
अपनों को अपनों से दूर यदि करदें तो |
लुट जाती खुशियां रह जाता गुबार है ||
रिश्ते न भूल जाना मुफ़लिसी के दौर मे |
पैसों का टिकता न हरदम खुमार है |l
एक जैसा इन्सा है अभिव्यक्ति भिन्न है |
एक जैसी नैया पर अलग पतवार है ||
नित झूठ बोलते हैं सत्य के पुजारी सब l
उनके कतार में ही भक्त बेशुमार है ll
कंगालों के घर में है धन बेईमानी वाला l
सोनी ईमानदार है तो खाली भण्डार है ll
सोनी सुगंधा
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