गुरु को एक शब्द सुमन अर्पण
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हे गुरूदेव नमन आपको
परहित अलोक बिखेरिये !
अमरत्व को अलंकृत करें ,
श्रद्धा-सुमन स्वीकारिये !
वरदान स्वरूप मिले मुझको ,
निशा में भी ऊषा दिखे मुझको ,
अंतराल में निमिर समेटे ,
दलदल में भी तिमिर समेटे ,
स्नेह रीते प्राण-प्रदीप में ,
मोती पायें हर शीप में ,
ऐसे शिष्यों की छवि निखेरिये !!
हे गुरूदेव नमन आपको
परहित अलोक बिखेरिये !!
वंदन हे मातु सबकी जननी ,
प्रथम गुरु कर्तव्य करणी ,
आपसबों के ऋणी हैं हमसब ,
शब्दभाव से भीनी हैं हमसब ,
परोपकार परम धर्म साधते ,
शिष्यों पर उपकार चाहते ,
समस्त सुखों का स्वप्न साकार ,
त्याग्य हो सबका अहंकार ,
अपनी आशीस से श्रेयस पथ पर ,
नित बढ़ने को ललकारिये !
हे गुरूदेव नमन आपको
परहित अलोक बिखेरिये !
अमरत्व को अलन्कृत करें ,
श्रद्धा सुमन स्वीकारिये !
सोनी सुगंधा
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हे गुरूदेव नमन आपको
परहित अलोक बिखेरिये !
अमरत्व को अलंकृत करें ,
श्रद्धा-सुमन स्वीकारिये !
वरदान स्वरूप मिले मुझको ,
निशा में भी ऊषा दिखे मुझको ,
अंतराल में निमिर समेटे ,
दलदल में भी तिमिर समेटे ,
स्नेह रीते प्राण-प्रदीप में ,
मोती पायें हर शीप में ,
ऐसे शिष्यों की छवि निखेरिये !!
हे गुरूदेव नमन आपको
परहित अलोक बिखेरिये !!
वंदन हे मातु सबकी जननी ,
प्रथम गुरु कर्तव्य करणी ,
आपसबों के ऋणी हैं हमसब ,
शब्दभाव से भीनी हैं हमसब ,
परोपकार परम धर्म साधते ,
शिष्यों पर उपकार चाहते ,
समस्त सुखों का स्वप्न साकार ,
त्याग्य हो सबका अहंकार ,
अपनी आशीस से श्रेयस पथ पर ,
नित बढ़ने को ललकारिये !
हे गुरूदेव नमन आपको
परहित अलोक बिखेरिये !
अमरत्व को अलन्कृत करें ,
श्रद्धा सुमन स्वीकारिये !
सोनी सुगंधा
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