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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Monday, June 17, 2019

गुरु को एक शब्द सुमन अर्पण - ( सोनी सुगंधा )

गुरु को एक शब्द सुमन अर्पण
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हे गुरूदेव नमन आपको
परहित अलोक बिखेरिये !
अमरत्व को अलंकृत करें ,
श्रद्धा-सुमन स्वीकारिये  !
वरदान स्वरूप मिले मुझको ,
निशा में भी ऊषा दिखे मुझको ,
अंतराल में निमिर  समेटे ,
दलदल में भी तिमिर समेटे ,
स्नेह रीते प्राण-प्रदीप में ,
मोती पायें हर शीप में ,
ऐसे शिष्यों की छवि निखेरिये !!
हे गुरूदेव नमन आपको
परहित अलोक बिखेरिये !!
वंदन हे मातु सबकी जननी ,
प्रथम गुरु कर्तव्य करणी ,
आपसबों के ऋणी हैं हमसब ,
शब्दभाव से भीनी हैं हमसब ,
परोपकार परम धर्म साधते ,
शिष्यों पर उपकार चाहते ,
समस्त सुखों का स्वप्न साकार ,
त्याग्य हो सबका अहंकार ,
अपनी आशीस से श्रेयस पथ पर ,
नित बढ़ने को ललकारिये !
हे गुरूदेव नमन आपको
परहित अलोक बिखेरिये !
अमरत्व को अलन्कृत करें ,
श्रद्धा सुमन स्वीकारिये  !

सोनी सुगंधा

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