मैं बागी हूँ, बगावत तो
मेरे नस-नस मे दौड़़ेगी,
किसी भी जुल्म, जुल्मी पर,
कलम खामोश ना होगी,
जिन्होंने रख दिया इमान,
सियासत के कदमों में,
वक्त तो मान या मीरजाफर
के संग हीं उनको तौलेगी.....।।।।।
कुमार बसन्त
मेरे नस-नस मे दौड़़ेगी,
किसी भी जुल्म, जुल्मी पर,
कलम खामोश ना होगी,
जिन्होंने रख दिया इमान,
सियासत के कदमों में,
वक्त तो मान या मीरजाफर
के संग हीं उनको तौलेगी.....।।।।।
कुमार बसन्त
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