नादान परिन्दें
मालूम है कि
उसे उजड़ना ही है
फिर भी,
इनका पागलपन तो देखो
बार-बार बना लेते हैं
अपने आशियानें
ये नादान परिन्दें
इस धरती पर
अपने वजूद को
बचाये रखने के लिए।
जरुरी है
पैरों को जमीं से
जोड़े रखना।
तुम्हारे ये
हौसले भरे पंख
मुझे भी देते हैं
आकाश में
उड़ने का संकल्प।
वीणा पाण्डेय भारती
मालूम है कि
उसे उजड़ना ही है
फिर भी,
इनका पागलपन तो देखो
बार-बार बना लेते हैं
अपने आशियानें
ये नादान परिन्दें
इस धरती पर
अपने वजूद को
बचाये रखने के लिए।
जरुरी है
पैरों को जमीं से
जोड़े रखना।
तुम्हारे ये
हौसले भरे पंख
मुझे भी देते हैं
आकाश में
उड़ने का संकल्प।
वीणा पाण्डेय भारती
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