अनुभूतियाँ
*********
कहने को कोई शब्द नहीं l
सुनने को कोई बोल नहीं ll
जब आशा हो प्रतिकूल सखे l
जीवन का कोई मोल नहीं ll
जब साथ-साथ सब रहते थे l
हँसकर सारे गम सहते थे ll
सच में था सच्चा प्रेम वहीl
लम्हे सँग- साथ गुज़रते थे ll
है आज भले सारी सुविधा l
फिर भी संकट लाती विविधा ll
हमसे बेहतर है कोई नहीं l
घर- घर की ये भारी दुविधा ll
मत पूछो कैसे जीते हैं ?
कैसे इक-इक दिन बीते हैं ?
रहना मुश्किल एक दूज़े बिन l
ज़ख्मों को कैसे सीते हैं ?
तारीख यही औ रात यही l
वर्षों की बीती बात सही ll
तेरी याद नहीं लोलुप्त हुई l
मानो कल का आघात सहीll
सोनी सुगंधा
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कहने को कोई शब्द नहीं l
सुनने को कोई बोल नहीं ll
जब आशा हो प्रतिकूल सखे l
जीवन का कोई मोल नहीं ll
जब साथ-साथ सब रहते थे l
हँसकर सारे गम सहते थे ll
सच में था सच्चा प्रेम वहीl
लम्हे सँग- साथ गुज़रते थे ll
है आज भले सारी सुविधा l
फिर भी संकट लाती विविधा ll
हमसे बेहतर है कोई नहीं l
घर- घर की ये भारी दुविधा ll
मत पूछो कैसे जीते हैं ?
कैसे इक-इक दिन बीते हैं ?
रहना मुश्किल एक दूज़े बिन l
ज़ख्मों को कैसे सीते हैं ?
तारीख यही औ रात यही l
वर्षों की बीती बात सही ll
तेरी याद नहीं लोलुप्त हुई l
मानो कल का आघात सहीll
सोनी सुगंधा
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