खेल
बड़ा जटिल है
लोगों को समझा पाना
बचपन मासूमियत को छोड़
पग बढ़ाता है
कठोरता की ओर
कभी-कभी
बच्चा नही रह जाता "मन"
बन जाता है "पिता"
और खेलने लगता है
स्वयं से ही
जिम्मेदारियों का खेल!
(पिता-पुत्र का खेल )
वरुण प्रभात
बड़ा जटिल है
लोगों को समझा पाना
बचपन मासूमियत को छोड़
पग बढ़ाता है
कठोरता की ओर
कभी-कभी
बच्चा नही रह जाता "मन"
बन जाता है "पिता"
और खेलने लगता है
स्वयं से ही
जिम्मेदारियों का खेल!
(पिता-पुत्र का खेल )
वरुण प्रभात
No comments:
Post a Comment