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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Monday, June 17, 2019

टुकड़े को टुकड़ा करता सरौता मिला ! - ( सोनी सुगंधा )

टुकड़े को टुकड़ा करता सरौता मिला !
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ऊलझने इस कदर बस ऊलझती गईं !
सोंचने का तनिक भी न मौका मिला !!
पाने की कुछ भी चाहत बची ही नहीं  !
खुद वसीयत ड़ूबोता जो नौका मिला !!
मैं तो खुशहाल  होती रही  टुकड़ों में  !
टुकड़े को टुकड़ा करता सरौता मिला !!
सिर्फ रिश्तों को  पूजा  बड़े  प्यार से  !
रिश्ते  रिसते गये  मन कसौता मिला !!
ज़िन्दगी गम की बस आशना बन गई !
हर कदम दर कदम  समझौता मिला !!
लोग.    पहचान  आते  रहे वक्त  पर   !
झूठे  इन्सान का तब मुखौटा  मिला  !!
'सोनी' संभलो  यही है  ज़माने का रंग !
गिरगिटों का है महफिल ये न्यौता मिला !!

सोनी सुगंधा

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