टुकड़े को टुकड़ा करता सरौता मिला !
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ऊलझने इस कदर बस ऊलझती गईं !
सोंचने का तनिक भी न मौका मिला !!
पाने की कुछ भी चाहत बची ही नहीं !
खुद वसीयत ड़ूबोता जो नौका मिला !!
मैं तो खुशहाल होती रही टुकड़ों में !
टुकड़े को टुकड़ा करता सरौता मिला !!
सिर्फ रिश्तों को पूजा बड़े प्यार से !
रिश्ते रिसते गये मन कसौता मिला !!
ज़िन्दगी गम की बस आशना बन गई !
हर कदम दर कदम समझौता मिला !!
लोग. पहचान आते रहे वक्त पर !
झूठे इन्सान का तब मुखौटा मिला !!
'सोनी' संभलो यही है ज़माने का रंग !
गिरगिटों का है महफिल ये न्यौता मिला !!
सोनी सुगंधा
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ऊलझने इस कदर बस ऊलझती गईं !
सोंचने का तनिक भी न मौका मिला !!
पाने की कुछ भी चाहत बची ही नहीं !
खुद वसीयत ड़ूबोता जो नौका मिला !!
मैं तो खुशहाल होती रही टुकड़ों में !
टुकड़े को टुकड़ा करता सरौता मिला !!
सिर्फ रिश्तों को पूजा बड़े प्यार से !
रिश्ते रिसते गये मन कसौता मिला !!
ज़िन्दगी गम की बस आशना बन गई !
हर कदम दर कदम समझौता मिला !!
लोग. पहचान आते रहे वक्त पर !
झूठे इन्सान का तब मुखौटा मिला !!
'सोनी' संभलो यही है ज़माने का रंग !
गिरगिटों का है महफिल ये न्यौता मिला !!
सोनी सुगंधा
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