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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Monday, June 17, 2019

धरा गगन का हो सम्मान - ( वीणा पाण्डेय भारती )

धरा गगन का हो सम्मान

संसाधन का दोहन करते
और प्रकृति पर करते वार
यही हाल रहा मानव जो
अपने पांव कुल्हाड़ी मार।

समझ - समझ के समझ ना पाये
करते रहते हम अभिमान
प्रकृति जहां क्रोधित हो जाये
मिट जाता है नाम निशान।

क्यों ना हम एक पेड़ लगायें
धरती का कर दें श्रृंगार
बारिश भी हो उचित समय पर
इन्द्र धनुष जीवन संसार।

जल, जंगल, जमीन बचा कर
धरा-गगन का हो सम्मान
सुन्दर रुप रसीली दुनिया
हर होठों पर हो मुस्कान।

वीणा पाण्डेय भारती

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