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भगत सिंह
भगत सिंह
भगत सिंह
भगत सिंह

“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Friday, February 4, 2022

मातु शारदे ! ऐसा वर दो , वसंत जमशेदपुरी

 


मातु शारदे! ऐसा वर दो |
ज्ञान-दीप अंतस में धर दो ||

नाश तिमिर का हो जाए माँ |
शोक हृदय का खो जाए माँ |
आक-बबूल भरे मरुथल को-
हे माँ!तुम चंदन-वन कर दो ||

गूँजे वेद-ऋचाएँ घर-घर |
प्रेम-समीर बहे माँ! सर-सर |
संबंधों में बढ़े मधुरता-
वाणी में अमरित-रस भर दो ||

टूटे मन के तार जोड़ मैं |
छंद रचूँ छल-छंद छोड़ माँ |
जहाँ प्रीति का निर्झर हो माँ-
वहीं एक छोटा सा घर दो ||

-वसंत जमशेदपुरी


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