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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Friday, February 4, 2022

बसंत ....नहीं आया , प्रीति शर्मा "असीम" नालागढ़ हिमाचल प्रदेश

 


इस बार बसंत नहीं आया।
धूमिल -धूमिल धरा पर छाया।

 बादल बरसे निसदिन - निसदिन.
भरे हृदय की व्यथा कोई समझ ना पाया ।

इस बार बसंत नहीं आया।
मौन प्रकृति व्यथा संग मरण सन थी।
कैसे गुंजन करते भंवरे बागों में,
जब कोई पुष्प ही खिल ना पाया।

इस बार बसंत नहीं आया।
जीवन की उमंगे उम्मीदें पिघली पल -पल।

जीवन को एक सजा -सा बिताया।
उम्मीदों -आशाओं से खिलते हैं उपवन।
ना चांद चमका ना कोई तारा आया।
धरती सूखा ना पाई अपनी सीलन को ।
इस बार पेड़ों का पत्ता ना कोई मुस्कुराया ।

इस बार बसंत नहीं आया।

 प्रीति शर्मा "असीम"
 नालागढ़ हिमाचल प्रदेश


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