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भगत सिंह
भगत सिंह
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भगत सिंह

“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Friday, August 20, 2021

संहार में सौभाग्य || डॉ सीमा भट्टाचार्य बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

 

संहार में सौभाग्य

अस्थिर धरा एक निश्चित मधुसूदन 

कंठ अवरुद्ध नेत्र पूरित अश्रुकण 

रुष्ट नियति काल करता यक्ष प्रश्न 

व्यथित आत्मा झुलसे है तीव्र अग्न 


चित्कार क्रंदन हृदय विदारक युद्ध 

बंधु दृश्यगत अपने ही विरुद्ध 

धर्म को समर्पित स्वयं का गूढ़ दान

अधर्म को निज सेना का वरदान


असहज करती धर्म परंपरा विचित्र

परिणाम कलुषित करता है चित्र 

 कैसा है भ्रम कैसी ये माया,

धर्म-विमुख अनैतिक छाया। 


कुरुक्षेत्र युद्ध बेदी अंतिम प्रहर

रक्त सांझ शापित श्री कृष्ण प्रवर‌

नारायण से हत नारायणी सेना 

नभ-जल-धारा अचंभित है ना।


कर्मयोगी का कर्म लगता अक्षम्य 

निहित है किंतु धर्माकांक्षा अदम्य 

असत्य  का हो सुनिश्चित संहार

सत्यनिष्ठ का समवेत उद्धार। 


तारणहार करों से उपलब्ध मरण

मुक्ति श्री का है निहितार्थ वरण

विभीषिकाएँ दर्शित हैं परंतु

श्री श्री की लक्षित है शरण


डॉ सीमा भट्टाचार्य 

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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